वयस्क होने की कगार पर खड़ी प्लाक्षा, अपनी उम्र के हर दूसरे किशोर/किशोरी की तरह कुछ बागी, कुछ कनफ़्यूज़ और दुनिया से अनजान है। वह जो करना चाहती है उसका साहस नहीं है। जो नहीं करना चाहती उसे छोड़ने का कोई रास्ता नहीं है। 'तुम' से 'मुझ' तक प्लाक्षा का सफ़र है, अपने जीवन के सभी अनुभवों और रिश्तों के माध्यम से ख़ुद को खोजने का। और है एक प्रेम कहानी, जो कि आम या पारंपरिक नहीं है।
वयस्क होने की कगार पर खड़ी प्लाक्षा, अपनी उम्र के हर दूसरे किशोर/किशोरी की तरह कुछ बागी, कुछ कनफ़्यूज़ और दुनिया से अनजान है। वह जो करना चाहती है उसका साहस नहीं है। जो नहीं करना चाहती उसे छोड़ने का कोई रास्ता नहीं है। 'तुम' से 'मुझ' तक प्लाक्षा का सफ़र है, अपने जीवन के सभी अनुभवों और रिश्तों के माध्यम से ख़ुद को खोजने का। और है एक प्रेम कहानी, जो कि आम या पारंपरिक नहीं है।
Language : English
Publisher : Paper Towns
Binding : Paperback
Pages : 354
ISBN :
Country Origin : India
Publish Date :
Blurb : वयस्क होने की कगार पर खड़ी प्लाक्षा, अपनी उम्र के हर दूसरे किशोर/किशोरी की तरह कुछ बागी, कुछ कनफ़्यूज़ और दुनिया से अनजान है। वह जो करना चाहती है उसका साहस नहीं है। जो नहीं करना चाहती उसे छोड़ने का कोई रास्ता नहीं है। 'तुम' से 'मुझ' तक प्लाक्षा का सफ़र है, अपने जीवन के सभी अनुभवों और रिश्तों के माध्यम से ख़ुद को खोजने का। और है एक प्रेम कहानी, जो कि आम या पारंपरिक नहीं है।
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